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मारवाड़ जाट महासभा संस्थान

जाट भारत और पाकिस्तान में रहने वाला एक क्षत्रिय समुदाय है। भारत में मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश और गुजरात में वसते हैं। पंजाब में यह जट कहलाते हैं तथा शेष प्रदेशों में जाट कहलाते है।
जाट एक आदिकालीन समुदाय है और प्राचीनतम क्षेत्रीय वर्ग है जिसकी अनेक अनुपम विशेषताएं हैं। इसकी सामाजिक सरंचना बेजोड़ है। इस जाति ने आदिकाल से कुछ सर्वमान्य सामाजिक मापदण्ड स्वयं ही निर्धारित कर रखे हैं और इनके सामाजिक मूल्यों का निरंतर संस्तरण होता आ रहा है। जाट समाज की गोत्र और खाप व्यवस्थाएं अति प्राचीन हैं और आज भी इनका पालन हो रहा है। जाट समाज में अपने वंश गोत्र के लोग परस्पर भाई-भाई की तरह मानते है। समय समय पर मीडिया में इन व्यवस्थाओं पर हमला होता रहा है। यह समझना आवश्यक है कि जाट जाति क्या है ? जाट शब्द कितना प्राचीनत है ? जाट शब्द कैसे अस्तित्व में आया ? जाट जाति की उत्पत्ति और विस्तार कैसे हुआ ? इसका प्राचीन इतिहास क्या है ?

मारवाड़ जाट महासभा संस्थान

संस्था के उदेश्य

  • राष्ट्र के अभिभ अंग के रूप में समाज के हितों के लिये कार्य करना एवं सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, शैक्षणिक, नैतिक इत्यादि सर्वांगीण उन्नति हेतु कार्य करना।
  • समाज के उत्थान/विकास के लिए निचले स्तर से एक संगठनात्मक ढ़ाँचा तैयार करना जो त्री - स्तरीय होगा -
    1.तहसील ईकाई 2. जिला स्तरीय 3. समभाग स्तरीय
    भविष्य में तहसील व जिला इकाईयो के गठन के नियम आवश्यकतानुसार साधारण सभा द्वारा बनाये जायेंगे व साथ ही सदस्यों की संख्या आधार पर ग्राम इकाई भी गठित करने के नियम साधारण सभा बना सकेगी।
  • समाज की पंजीकृत/अपंजीकृत संस्थाओं के साथ सहयोग करना एवं लेना।
  • पुरातन समय से चली आ रही सामाजिक व्यवस्था को सुचारू संचालन के कार्य करने वाले समाज के खेड़े/पट्टीयों के साथ समन्वय स्थापित करना।
  • समाज को सुसंगठित करना एवं आपसी मेलजोल एवं सद्भाव बढ़ाना।
  • समाज की मान मर्यादा, गौरव एवं संस्कृति के विकास एवं रक्षा हेतु कार्य करना एवं उसका प्रतिनिधित्व करना।
  • समाज में व्याप्त कुरीतियां जैसे मृत्यु भोज, ओढ़ावणी, बाल विवाह, दहेजप्रथा, आदि के उन्मूलन एवं प्रगतिमूलक उद्धेश्यों की प्राप्ति में नई रीतियों का समन्वय करना।
  • संस्था के सदस्यों एवं आम जन के बीच भाईचारा, सहकारिता, परस्पर सद्भाव स्नेह और अपनत्व की भावना पैदा करना।
  • समाज के विद्यमान संस्थानों, छात्रावासो, आश्रमों, धर्मशालाओं, मंदिरों और अन्य संस्थानों को संरक्षित करना एवं नये संस्थानों का निर्माण करना, परिवर्धित करना, उनका समुचित रख रखाव करना, उनमें सुधार करना, उनका विकास करना एवं आवश्यकतानुसार प्रबन्धन में सहयोग करना।
  • समाज के युवाओं एवं अन्य के शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक, शैक्षिक कोशल उत्थान या इसके विकास के लिए किसी भी संस्था या विद्यालय या संघ को सहायता देना या स्थापित करना या सहयोग करना साथ ही आावश्यकतानुसार शिक्षा हेतु विद्यालय, महाविद्यालय, विश्वविद्यालय या समकक्ष संस्थाओं का गठन एवं प्रबंधन करना।
  • ऐसे जरूरतमंद व्यक्तियों, जो अन्यथा अक्षम या विकलांग है या मानसिक या शारीरिक रूप से कमजोर है, के जीवन उपयोगी दवाईयों के साथ साथ आर्थिक सहायता प्रदान करना और निर्धन वर्ग के किसी भी व्यक्ति के उत्थान के लिए वित्तीय व्यवस्था और प्रबन्धन करना।
  • समाज के किसी भी अविवाहित लड़की या लड़के, विधवा या विदुर के जीवन के उत्थान के लिए आवश्यकतानुसार समय समय पर सामाजिक, नैतिक और वित्तीय सहायता देना।
  • आध्यात्मिक अध्ययन की अभिवृद्धि करना और आम लोगों के लिए आध्यात्मिक प्रशिक्षण और योग केन्द्र खोलना।
  • उन क्षेत्रों में जो अकाल, आग, बाढ़, भूकम्प आदि जैसी प्राकृतिक आपदाओं से ग्रस्त है या हो गये हैं, सहायता करना और अन्य सहयोग करना। संस्थान राज्य/केन्द्र द्वारा संचालित जन कल्याणकारी योजनाओं के लिये सहयोग करना।
  • समाज के छात्रों/लोगों के उपयोग और सुविधा के लिए छात्रावासों, पुस्तकालय, वाचनालय स्थापित करना एवं प्रबन्धन करना।
  • शिक्षा/खेल व अन्य क्षेत्र में विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करने के लिए विद्यालय, महाविद्यलाय, विश्वविद्यालय स्तर पर विशेष योग्यता प्राप्त करने पर पुरस्कार, पदक और अन्य सम्मान देना। समाज के प्रतिभाशाली छात्र छात्रा को छात्रवृŸिा प्रदान करना।
  • समाज के विवाह योग्य युवक युवतियों के लिय सामुहिक विवाह एवं युवा परिचय सम्मेलन आयोजित करना।
  • राष्ट्रीय, सांस्कृतिक, सामाजिक और अन्य त्यौहारों और जयन्तियों जो संस्थान के उद्धेश्यों के पूरक हो, के आयोजन के लिए सहायता करना, उनका प्रबन्धन करना और प्रोत्साहित करना।
  • बालिका एवं महिला शिक्षा के लिए विशेष कार्य करना-छात्रावास स्थापित करना, व प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए प्रबंधन करना एवं कार्यरत महिलाओं के लिए आवास प्रबंधन करना।
  • सांस्कृतिक, सामाजिक, कृषि व संस्थान के अन्य उदेश्यों की पूर्ति हेतु शोध करवाना व प्रोत्साहित करना।
  • संस्थान के उदेश्यों व शोध, इतिहास संबंधि लेखन करवाना व प्रचार प्रसार हेतु पत्र पत्रिकाओं व पुस्तकों का प्रकाशन करवाना।
  • चिकित्सा व स्वास्थ्य सेवा हेतु शिविर आदि आयोजित करवाना।
  • नशा उन्मूलन हेतु विशेष कार्य करना व नशा प्रवृति की रोकधाम हेतु समाजिक जाग्रति अभियान चलाना।
  • समाज के किसी भी शहीद के परिवार का सम्मान करना एवं आवश्यकतानुसार संस्थान द्वारा सहयोग/सहायता करना।

  • नोट :- यह संस्था राजनैतिक, साम्प्रदायिक संस्थाओं से बिल्कुल अलग रहेगी तथा सदैव समाज कल्याण व परोपकार की भावना से ही सेवा कार्य करेगी - धनोपार्जन इसका ध्येय नहीं होगा।

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